बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप होना चाहिए – सामूहिक खेलों एवं रचनात्मक कार्यों के माध्यम से शिक्षा दी जानी चाहिए।
एडोलसेन्स शब्द लैटिन भाषा के एडोलेसियर क्रिया से बना है, जिसका तात्पर्य है – परिपक्वता का बढ़ना
किशोरावस्था का समय है – 12 से 18 तक
मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया निम्न में से किस सिद्धान्त पर आधारित है – विकास की दिशाका सिद्धान्त, परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त, व्यक्तिगत भिन्नताओं का सिद्धान्त
बालकों को वंशानुक्रम से प्राप्त होती है – वांछनीय एवं अवांछनीय आदतें
पर्यावरण का निर्माण हुआ है – परि + आवरण
बोरिंग के अनुसार जीन्स के अतिरिक्त व्यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्तु है – वातावरण
बुडवर्थ के अनुसार वातावरण का सम्बन्ध है – बाह्य तत्वों से
किशोर की शिक्षा में किस बात पर विशेष ध्यानाकर्षण की आवश्यकता होती है – यौन शिक्षा पर, पूर्ण व्यावसायिक शिक्षा पर, पर्याप्त मानसिक विकास पर
किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप में व्यक्त करने वाला एक शब्द है – परिवर्तन
किशोरावस्था प्राप्त हो जाने पर, निम्न में से कौन-सा गुण बालक में नहीं आता है – अधिक समायोजन का
किशोरावस्था के विकास को परिभाषित करने के लिए बिग एंड हण्ट ने किस शब्द को महत्वपूर्ण माना है – परिवर्तन
किशोरावस्था में बालकों में सामाजिकता के विकास के सन्दर्भ में कौन-सा कथन असत्य है – वे परिवार के कठोर नियन्त्रण में रहना पसन्द करते हैं।
निम्न में कौनसा कारक किशोरावस्था में बालक के विकास को प्रभावित करता है – खान-पान,वंशानुक्रम, नियमित दिनचर्या Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
‘दिवास्वप्न’ किस संगठन तन्त्र में विकसित रूप प्राप्त करता है – पलायन
”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्य कौन-सा सिद्धान्त कहलाता है – अतिरिक्त शक्तिका सिद्धान्त
निरंकुश राजतन्त्र में समाजीकरण की प्रक्रिया होगी – मन्द
बालक के समाजीकरण में भूमिका होती है – परिवार की, विद्यालय की, परिवेश की
जिस बुद्धि का कार्य सूक्ष्य तथा अमूर्त प्रश्नों का चिन्तन तथा मनन द्वारा हल करना है, वह है – अमूर्त बुद्धि
किशोरावस्था में रुचियां होती है – सामाजिक रूचियां, व्यावसायिक रूचियां, व्यक्तिगत रूचियां
जिस विधि के द्वारा बालक को आत्म-निर्देशन के माध्य से बुरी आदतों को छुड़वाने का प्रयास किया जाता है, वह विधि है – आत्मनिर्देश विधि
किस स्थिति में समाजीकरण की प्रक्रिया तीव्र होगी – धर्मनिरपेक्षता
संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास के साथ-साथ चलने की प्रक्रिया को किस विद्वान ने स्वीकार किया है – क्रो एण्ड क्रो
खेल के मैदान को किस विद्वान ने चरित्र निर्माण का स्थल माना है – स्किनर तथा हैरीमैन ने
चरित्र को निश्चित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है – मनोरंजन संबंधी कारक
समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते है – शिक्षा, समाज का स्वरूप, आर्थिक स्थिति
सामान्य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्था में बोलना सीख जाते हैं – 11 माह
पोषाहार योजना सम्बन्धित है – मिड डे मील योजना से
मिड डे मील योजना का प्रमुख संबंध है – केन्द्र से
मिड डे मील योजना का प्रमुख लक्ष्य है – बालक को पोषण प्रदान करना।
सामान्य ऊर्जा में पोषण का अर्थ माना जाता है – सन्तुलित भोजन से
पोषण के प्रमुख पक्ष हैं – सन्तुलित भोजन, नियमित भोजन
पोषण का विकृत रूप कहलाता है – कुपोषण
एक शिक्षक को पूर्ण ज्ञान होना चाहिए – पोषण का, पोषण के उपायों का, पोषक तत्वों का
पोषण का सम्बन्ध होता है – शारीरिक एवं मानसिक विकास
व्यापक अर्थ में पोषण का सम्बन्ध होता है – सन्तुलित भोजन से, स्वास्थ्यप्रद वातावरण एवं प्रकृति से
पोषण का अभाव अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है – सामाजिक विकास को
पोषण के अभाव में बालक का व्यवहार हो जाता है – चिड़चिड़ा, अमर्यादित
सन्तुलित भोजन का स्वरूप निर्धारित होता है – आयु वर्ग के अनुसार
अनुपयुक्त भोजन उत्पन्न करता है – कुपोषण
सन्तुलित भोजन के लिए आवश्यक है – शुद्धता एवं नियमितता
पोषण में वृद्धि के उपाय होते है – भोजन से सम्बन्धित, पर्यावरण से सम्बन्धित
पोषण के उपायों में प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है – शिक्षक सहयोग, अभिभावक सहयोग, विद्यार्थी सहयोग
निम्नलिखित में कौन-सी विशेषता पोषण से सम्बन्धित है – सन्तुलित भोजन
सन्तुलित भोजन के साथ पोषण के लिए आवश्यक है – स्वास्थ्यप्रद वातावरण, उचित व्यायाम, खेलकूद
वह उपाय जो पोषण पर्यावरणीय उपायों से सम्बन्धित है – पर्याप्त निंद्रा, पर्याप्त व्यायाम, स्वास्थ्यप्रद वातावरण
सन्तुलित भोजन की तालिका में मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों की स्थिति होती है – समान या असमान दोनों की नहीं।
एडोलसेन्स शब्द लैटिन भाषा के एडोलेसियर क्रिया से बना है, जिसका तात्पर्य है – परिपक्वता का बढ़ना
किशोरावस्था का समय है – 12 से 18 तक
मानव की वृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया निम्न में से किस सिद्धान्त पर आधारित है – विकास की दिशाका सिद्धान्त, परस्पर सम्बन्ध का सिद्धान्त, व्यक्तिगत भिन्नताओं का सिद्धान्त
बालकों को वंशानुक्रम से प्राप्त होती है – वांछनीय एवं अवांछनीय आदतें
पर्यावरण का निर्माण हुआ है – परि + आवरण
बोरिंग के अनुसार जीन्स के अतिरिक्त व्यक्ति को प्रभावित करने वाली वस्तु है – वातावरण
बुडवर्थ के अनुसार वातावरण का सम्बन्ध है – बाह्य तत्वों से
किशोर की शिक्षा में किस बात पर विशेष ध्यानाकर्षण की आवश्यकता होती है – यौन शिक्षा पर, पूर्ण व्यावसायिक शिक्षा पर, पर्याप्त मानसिक विकास पर
किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप में व्यक्त करने वाला एक शब्द है – परिवर्तन
किशोरावस्था प्राप्त हो जाने पर, निम्न में से कौन-सा गुण बालक में नहीं आता है – अधिक समायोजन का
किशोरावस्था के विकास को परिभाषित करने के लिए बिग एंड हण्ट ने किस शब्द को महत्वपूर्ण माना है – परिवर्तन
किशोरावस्था में बालकों में सामाजिकता के विकास के सन्दर्भ में कौन-सा कथन असत्य है – वे परिवार के कठोर नियन्त्रण में रहना पसन्द करते हैं।
निम्न में कौनसा कारक किशोरावस्था में बालक के विकास को प्रभावित करता है – खान-पान,वंशानुक्रम, नियमित दिनचर्या Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
‘दिवास्वप्न’ किस संगठन तन्त्र में विकसित रूप प्राप्त करता है – पलायन
”बालक की शक्ति का वह अंश जो किसी काम में नहीं आता है, वह खेलों के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है।” यह तथ्य कौन-सा सिद्धान्त कहलाता है – अतिरिक्त शक्तिका सिद्धान्त
निरंकुश राजतन्त्र में समाजीकरण की प्रक्रिया होगी – मन्द
बालक के समाजीकरण में भूमिका होती है – परिवार की, विद्यालय की, परिवेश की
जिस बुद्धि का कार्य सूक्ष्य तथा अमूर्त प्रश्नों का चिन्तन तथा मनन द्वारा हल करना है, वह है – अमूर्त बुद्धि
किशोरावस्था में रुचियां होती है – सामाजिक रूचियां, व्यावसायिक रूचियां, व्यक्तिगत रूचियां
जिस विधि के द्वारा बालक को आत्म-निर्देशन के माध्य से बुरी आदतों को छुड़वाने का प्रयास किया जाता है, वह विधि है – आत्मनिर्देश विधि
किस स्थिति में समाजीकरण की प्रक्रिया तीव्र होगी – धर्मनिरपेक्षता
संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास के साथ-साथ चलने की प्रक्रिया को किस विद्वान ने स्वीकार किया है – क्रो एण्ड क्रो
खेल के मैदान को किस विद्वान ने चरित्र निर्माण का स्थल माना है – स्किनर तथा हैरीमैन ने
चरित्र को निश्चित करने वाला महत्वपूर्ण कारक है – मनोरंजन संबंधी कारक
समाजीकरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते है – शिक्षा, समाज का स्वरूप, आर्थिक स्थिति
सामान्य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्था में बोलना सीख जाते हैं – 11 माह
पोषाहार योजना सम्बन्धित है – मिड डे मील योजना से
मिड डे मील योजना का प्रमुख संबंध है – केन्द्र से
मिड डे मील योजना का प्रमुख लक्ष्य है – बालक को पोषण प्रदान करना।
सामान्य ऊर्जा में पोषण का अर्थ माना जाता है – सन्तुलित भोजन से
पोषण के प्रमुख पक्ष हैं – सन्तुलित भोजन, नियमित भोजन
पोषण का विकृत रूप कहलाता है – कुपोषण
एक शिक्षक को पूर्ण ज्ञान होना चाहिए – पोषण का, पोषण के उपायों का, पोषक तत्वों का
पोषण का सम्बन्ध होता है – शारीरिक एवं मानसिक विकास
व्यापक अर्थ में पोषण का सम्बन्ध होता है – सन्तुलित भोजन से, स्वास्थ्यप्रद वातावरण एवं प्रकृति से
पोषण का अभाव अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है – सामाजिक विकास को
पोषण के अभाव में बालक का व्यवहार हो जाता है – चिड़चिड़ा, अमर्यादित
सन्तुलित भोजन का स्वरूप निर्धारित होता है – आयु वर्ग के अनुसार
अनुपयुक्त भोजन उत्पन्न करता है – कुपोषण
सन्तुलित भोजन के लिए आवश्यक है – शुद्धता एवं नियमितता
पोषण में वृद्धि के उपाय होते है – भोजन से सम्बन्धित, पर्यावरण से सम्बन्धित
पोषण के उपायों में प्रभावशीलता के लिए आवश्यक है – शिक्षक सहयोग, अभिभावक सहयोग, विद्यार्थी सहयोग
निम्नलिखित में कौन-सी विशेषता पोषण से सम्बन्धित है – सन्तुलित भोजन
सन्तुलित भोजन के साथ पोषण के लिए आवश्यक है – स्वास्थ्यप्रद वातावरण, उचित व्यायाम, खेलकूद
वह उपाय जो पोषण पर्यावरणीय उपायों से सम्बन्धित है – पर्याप्त निंद्रा, पर्याप्त व्यायाम, स्वास्थ्यप्रद वातावरण
सन्तुलित भोजन की तालिका में मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों की स्थिति होती है – समान या असमान दोनों की नहीं।
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1 से 3 वर्ष के बालक के लिए अन्न होना चाहिए – 150 ग्राम
7 से 9 वर्ष के मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों के लिए अन्न होना चाहिए – 250 ग्राम
7 से 9 वर्ष के बाल को किस स्वरूप के लिए 75 ग्राम हरी सब्जियों की आवश्यकता होती है – शाकाहारी एवं मांसाहारी दोंनों के लिए
सन्तुलित भोजन की तालिका में 1 से 9 वर्ष के लिए फलों की तालिका में वजन होता है – एक समान Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
सन्तुलित भोजन में पोषक तत्व होते है – प्रोटीन, विटामिन, वसा
प्रोटीन सामान्य रूप से होती है – दो प्रकार की
मांस से प्राप्त प्रोटीन को कहते है – जन्तु जन्य प्रोटीन
कौन-सा स्रोत वनस्पतिजन्य प्रोटीन का है – जौ
क्वाशियरकर नामक रोग उत्पन्न होता है – प्रोटीन की कमी से
गन्ने के रस, अंगूर तथा खजूर से प्रमुख रूप से प्राप्त होती है – कार्बोज
कार्बोज की अधिकता से कौन सा रोग उत्पन्न होता है – मोटापा, बदहजमी
वसा के प्रमुख स्रोत हैं – वनस्पति तेल व सूखे मेवे
शरीर को अधिक शक्ति प्रदान करता है – वसा
खनिज लवणों की कमी से रक्त को नहीं मिल पाता है – हीमोग्लोबिन
घेंघा नामक रोग उत्पन्न होता है – आयोडिन अथवा खनिज लवण की कमी से
विटामिन का आविष्कार हुआ था – उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ में
विटामिन ए की कमी से बालकों में कौंन-सा रोग होता है – रतौंधी
विटामिन बी की कमी से होता है – बेरी-बेरी रोग
पेलाग्रा रोग किस विटामिन की कमी से होता है – बी
बी काम्पलेक्स कहा जाता है – B1, B2, B2 को
विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है – स्कर्वी
विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत है – आंवला
स्त्रियों में मृदुलास्थि रोग किस विटामिन की कमी से होता है – विटामिन डी
विटामिन डी की कमी से उत्पन्न होता है – सूखा रोग
सूखा रोग पाया जाता है – बालिकाओं में
विटामिन ई की कमी से स्त्रियों में सम्भावना होती है – बांझपन, गर्भपात
विटामिन ई की कमी से उत्पन्न होने वाला रोग है – नपुंसकता
विटामिन K का प्रमुख स्त्रोत है – केला, गोभी, अण्डा
विटामिन ‘के’ की सर्वाधिक उपयोगिता होती है – गर्भिणी स्त्री के लिए, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए
रक्त का थक्का न जमने का रोग किस विटामिन के अभाव से उत्पन्न होता है – विटामिन ‘के‘
जल हमारे शरीर में कितने प्रतिशत है – 70 प्रतिशत
दूषित जल के पीने से उत्पन्न रोग है – पीलिया, डायरिया
कार्य करने के लिए किस पदार्थ की आवश्यकता होती है – कार्बोज की, कार्बोहाइड्रेट की
अध्यापक को पोषक के ज्ञान की आवश्यकता होती है – बाल विकास के लिए, छात्रों के रोगों की जानकारी के लिए, अभिभावकों को पोषण का ज्ञान प्रदान कराने के लिए।
अभिभावकों को पोषण का ज्ञान कराने का सर्वोत्तम अवसर होता है – शिक्षक–अभिभावक गोष्ठी Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
पोषण की क्रिया को बाल विकास से सम्बद्ध करने के लिए आवश्यक है – निरन्तरता
शारीरिक विकास के लिए निरन्तरता के रूप में उपलब्ध होना चाहिए – सन्तुलित भोजन, उचित व्यायाम
अनिरन्तरता का विकास प्रक्रिया में प्रमुख कारक है – साधनों की अनिरन्तरता
एक बालक को सन्तुलित भोजन की उपलब्धता सप्ताह में दो दिन होती है। इस अवस्था में उस बालक का विकास होगा – अनियमित
साधनों की निरन्तरता में बालक विकास की गति को बनाती है – तीव्र
साधनों की अनिरन्तरता बाल विकास को बनाती है – मंद
एक बालक में विद्यालय के प्रथम दिन अध्यापक एवं विद्यालय के प्रति अरूचि उत्पन्न हो जाती है तो उसका प्रारम्भिक अनुभव माना जायेगा – दोषपूर्ण
सर्वोत्तम विकास के लिए प्रारम्भिक अनुभवों का स्वरूप होना चाहिए – सुखद
एक बालक प्रथम अवसर पर एक विवाह समारोह में जाता है वहां उसको अनेक प्रकार की विसंगतियां दृष्टिगोचर होती हैं तो माना जायेगा कि बालक का सामाजिक विकास होगा – मंद गति से
शिक्षण कार्य में बालक के प्रारम्भिक अनुभव को उत्तम बनाने का कार्य करने के लिए शिक्षक को प्रयोग करना चाहिए – शिक्षण सूत्रों का
परवर्ती अनुभवों का सम्बन्ध होता है – परिणाम से
परवर्ती अनुभव का प्रयोग किया जा सकता है – विकासकी परिस्थिति निर्माण में, विकास मार्ग को प्रशस्त करने में
बाल केन्द्रित शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर सामान्यत: किस विधि का प्रयोग उचित माना जायेगा – खेल विधि
बाल केन्द्रित शिक्षा का प्रमुख आधार है – बालक का केन्द्र मानना
बाल केन्द्रित शिक्षा में किसकी भूमिका गौण होती है – शिक्षक की
बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख भूमिका होती है – बालक की
बाल केन्द्रित शिक्षा का उद्देश्य होता है – बालक की रूचियों का ध्यान, अन्तर्निहित प्रतिभाओं का विकास,गतिविधियों का विकास
बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षा प्रदान की जाती है – कविताओं एवं कहानियों के रूप में
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1 से 3 वर्ष के बालक के लिए अन्न होना चाहिए – 150 ग्राम
7 से 9 वर्ष के मांसाहारी एवं शाकाहारी बालकों के लिए अन्न होना चाहिए – 250 ग्राम
7 से 9 वर्ष के बाल को किस स्वरूप के लिए 75 ग्राम हरी सब्जियों की आवश्यकता होती है – शाकाहारी एवं मांसाहारी दोंनों के लिए
सन्तुलित भोजन की तालिका में 1 से 9 वर्ष के लिए फलों की तालिका में वजन होता है – एक समान Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
सन्तुलित भोजन में पोषक तत्व होते है – प्रोटीन, विटामिन, वसा
प्रोटीन सामान्य रूप से होती है – दो प्रकार की
मांस से प्राप्त प्रोटीन को कहते है – जन्तु जन्य प्रोटीन
कौन-सा स्रोत वनस्पतिजन्य प्रोटीन का है – जौ
क्वाशियरकर नामक रोग उत्पन्न होता है – प्रोटीन की कमी से
गन्ने के रस, अंगूर तथा खजूर से प्रमुख रूप से प्राप्त होती है – कार्बोज
कार्बोज की अधिकता से कौन सा रोग उत्पन्न होता है – मोटापा, बदहजमी
वसा के प्रमुख स्रोत हैं – वनस्पति तेल व सूखे मेवे
शरीर को अधिक शक्ति प्रदान करता है – वसा
खनिज लवणों की कमी से रक्त को नहीं मिल पाता है – हीमोग्लोबिन
घेंघा नामक रोग उत्पन्न होता है – आयोडिन अथवा खनिज लवण की कमी से
विटामिन का आविष्कार हुआ था – उन्नीसवीं शताब्दी के आरम्भ में
विटामिन ए की कमी से बालकों में कौंन-सा रोग होता है – रतौंधी
विटामिन बी की कमी से होता है – बेरी-बेरी रोग
पेलाग्रा रोग किस विटामिन की कमी से होता है – बी
बी काम्पलेक्स कहा जाता है – B1, B2, B2 को
विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है – स्कर्वी
विटामिन सी का प्रमुख स्त्रोत है – आंवला
स्त्रियों में मृदुलास्थि रोग किस विटामिन की कमी से होता है – विटामिन डी
विटामिन डी की कमी से उत्पन्न होता है – सूखा रोग
सूखा रोग पाया जाता है – बालिकाओं में
विटामिन ई की कमी से स्त्रियों में सम्भावना होती है – बांझपन, गर्भपात
विटामिन ई की कमी से उत्पन्न होने वाला रोग है – नपुंसकता
विटामिन K का प्रमुख स्त्रोत है – केला, गोभी, अण्डा
विटामिन ‘के’ की सर्वाधिक उपयोगिता होती है – गर्भिणी स्त्री के लिए, स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए
रक्त का थक्का न जमने का रोग किस विटामिन के अभाव से उत्पन्न होता है – विटामिन ‘के‘
जल हमारे शरीर में कितने प्रतिशत है – 70 प्रतिशत
दूषित जल के पीने से उत्पन्न रोग है – पीलिया, डायरिया
कार्य करने के लिए किस पदार्थ की आवश्यकता होती है – कार्बोज की, कार्बोहाइड्रेट की
अध्यापक को पोषक के ज्ञान की आवश्यकता होती है – बाल विकास के लिए, छात्रों के रोगों की जानकारी के लिए, अभिभावकों को पोषण का ज्ञान प्रदान कराने के लिए।
अभिभावकों को पोषण का ज्ञान कराने का सर्वोत्तम अवसर होता है – शिक्षक–अभिभावक गोष्ठी Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
पोषण की क्रिया को बाल विकास से सम्बद्ध करने के लिए आवश्यक है – निरन्तरता
शारीरिक विकास के लिए निरन्तरता के रूप में उपलब्ध होना चाहिए – सन्तुलित भोजन, उचित व्यायाम
अनिरन्तरता का विकास प्रक्रिया में प्रमुख कारक है – साधनों की अनिरन्तरता
एक बालक को सन्तुलित भोजन की उपलब्धता सप्ताह में दो दिन होती है। इस अवस्था में उस बालक का विकास होगा – अनियमित
साधनों की निरन्तरता में बालक विकास की गति को बनाती है – तीव्र
साधनों की अनिरन्तरता बाल विकास को बनाती है – मंद
एक बालक में विद्यालय के प्रथम दिन अध्यापक एवं विद्यालय के प्रति अरूचि उत्पन्न हो जाती है तो उसका प्रारम्भिक अनुभव माना जायेगा – दोषपूर्ण
सर्वोत्तम विकास के लिए प्रारम्भिक अनुभवों का स्वरूप होना चाहिए – सुखद
एक बालक प्रथम अवसर पर एक विवाह समारोह में जाता है वहां उसको अनेक प्रकार की विसंगतियां दृष्टिगोचर होती हैं तो माना जायेगा कि बालक का सामाजिक विकास होगा – मंद गति से
शिक्षण कार्य में बालक के प्रारम्भिक अनुभव को उत्तम बनाने का कार्य करने के लिए शिक्षक को प्रयोग करना चाहिए – शिक्षण सूत्रों का
परवर्ती अनुभवों का सम्बन्ध होता है – परिणाम से
परवर्ती अनुभव का प्रयोग किया जा सकता है – विकासकी परिस्थिति निर्माण में, विकास मार्ग को प्रशस्त करने में
बाल केन्द्रित शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर सामान्यत: किस विधि का प्रयोग उचित माना जायेगा – खेल विधि
बाल केन्द्रित शिक्षा का प्रमुख आधार है – बालक का केन्द्र मानना
बाल केन्द्रित शिक्षा में किसकी भूमिका गौण होती है – शिक्षक की
बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख भूमिका होती है – बालक की
बाल केन्द्रित शिक्षा का उद्देश्य होता है – बालक की रूचियों का ध्यान, अन्तर्निहित प्रतिभाओं का विकास,गतिविधियों का विकास
बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षा प्रदान की जाती है – कविताओं एवं कहानियों के रूप में
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बाल केन्द्रित शिक्षा में प्रमुख स्थान दिया जाता है – गतिविधियों एवं प्रयोगों को
प्रगतिशील शिक्षा का आधार होता है – वैज्ञानिकता व तकनीकी
शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा
शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर खेलों का प्रयोग माना जाता है – बाल केन्द्रित शिक्षा
बालकों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण यन्त्रों का प्रयोग किसकी देन माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा की
समाज में अन्धविश्वास एवं रूढि़वादिता की समाप्ति के लिए आवश्यक है – प्रगतिशील शिक्षा
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
शिक्षण अधिगम सामग्री में प्रोजेक्टर, दूरदर्शन एवं वीडियो टेप का प्रयोग करना प्रमुख रूप से सम्बन्धित है – प्रगतिशील शिक्षा का
बाल केन्द्रित शिक्षा में एवं प्रगतिशील शिक्षा में पाया जाता है – घनिष्ठ सम्बन्ध
विशेष बालकों के लिए उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती हैं – बाल केन्द्रित शिक्षा में Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
पाठ्यक्रम विविधता देन है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा की
छात्रों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य निहित है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा में
एक विद्यालय में जाति के आधार पर बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा को माना जायेगा – बाल केन्द्रित शिक्षा
बालकों को विद्यालय में किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। उनकी इस शिक्षा को माना जायेगा – आदर्शवादी शिक्षा
बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा है – एक-दूसरे की पूरक
बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है – मनोविज्ञान, विज्ञान, व तकनीकी का
एक बालक की लम्बाई 3 फुट थी, दो वर्ष बाद उसकी लम्बाई 4 फुट हो गयी। बालक की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन को माना जायेगा – वृद्धि एवं विकास
स्किनर के अनुसार वृद्धि एवं विकास का उदेश्य है – प्रभावशाली व्यक्तित्व
परिवर्तन की अवधारणा सम्बन्धित है – वृद्धि एवं विकास से
वृद्धि एवं विकास का ज्ञान एक शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक हैं – सर्वांगीण विकास के लिए
क्रोगमैन के अनुसार वृद्धि का आशय है – जैविकीय संयमों के अनुसार वृद्धि
सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि सूचक है – धनात्मकता का
सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि मानी जाती है – परिवर्तन का आधार
गैसेल के अनुसार संकुचित दृष्टिकोण है – वृद्धि का
गैसेल के अनुसार व्यापक दृष्टिकोण है – विकास का
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य गैसेल के विकास के अवलोकन रूपों से सम्बन्धित है – शरीर रचनात्मक,शरीर क्रिया विज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक
”विकास के अनुरूप व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशेषताएं प्रकट होती है” यह कथन है –श्रीमती हरलॉक का
सोरेन्स के अनुसार विकास है – परिपक्वता एवं कार्य सुधार की प्रक्रिया
अभिवृद्धि वृद्धि की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – शारीरिक
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – मात्रात्मक
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – रचनात्मक
अभिवृद्धि का क्रममानव को ले जाता है – वृद्धावस्था की ओर
अभिवृद्धि कहलाती है – कोशिकीय वृद्धि
अभिवृद्धि एक धारणा है – संकीर्ण
अभिवृद्धि का सम्बन्ध है – शारीरिक परिवर्तन से
अभिवृद्धि एक है – साधारण प्रक्रिया
अभिवृद्धि की प्रक्रिया सम्भव है – मापन
विकास की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से बाल्यावस्था तक
विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक
वृद्धिएवं विकास के सन्दर्भ में सत्य है – अभिवृद्धि बाद में होती है व विकास पहले होता है।
विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – गुणात्मक
विकास की प्रक्रिया के परिणाम हो सकते हैं – रचनात्मक एवं विध्वंसात्मक
विकास का प्रमुख सम्बन्ध है – परिपक्वता से
विकास के क्षेत्र को माना जाता है – व्यापक प्रक्रिया से
विकास की प्रक्रिया को कठिनाई के आधार पर स्वीकार किया जाता है – जटिल प्रक्रिया के रूप में
विकास की प्रक्रिया में समावेश होता है – वृद्धि एवं परिपक्वता का
विकास की प्रक्रिया का सम्भव है – भविष्यवाणी करना
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार संवेग है – मापात्मक अनुभव
‘संवेग पुनर्जागरण की प्रक्रिया है।” यह कथन है – क्रो एण्ड क्रो का
‘संवेग शरीर की जटिल दशा है।’ यह कथन है – जेम्स ड्रेकर का
संवेगों में मानव को अनुभूतियां होती है – सुखद व दु:खद
प्रगतिशील शिक्षा का आधार होता है – वैज्ञानिकता व तकनीकी
शिक्षा में कम्प्यूटर का प्रयोग माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा
शिक्षा में प्राथमिक स्तर पर खेलों का प्रयोग माना जाता है – बाल केन्द्रित शिक्षा
बालकों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण यन्त्रों का प्रयोग किसकी देन माना जाता है – प्रगतिशील शिक्षा की
समाज में अन्धविश्वास एवं रूढि़वादिता की समाप्ति के लिए आवश्यक है – प्रगतिशील शिक्षा
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाना उद्देश्य है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा का
शिक्षण अधिगम सामग्री में प्रोजेक्टर, दूरदर्शन एवं वीडियो टेप का प्रयोग करना प्रमुख रूप से सम्बन्धित है – प्रगतिशील शिक्षा का
बाल केन्द्रित शिक्षा में एवं प्रगतिशील शिक्षा में पाया जाता है – घनिष्ठ सम्बन्ध
विशेष बालकों के लिए उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती हैं – बाल केन्द्रित शिक्षा में Bal Vikas Shiksha Shastra Notes
पाठ्यक्रम विविधता देन है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा की
छात्रों के सर्वांगीण विकास का उद्देश्य निहित है – बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा में
एक विद्यालय में जाति के आधार पर बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा को माना जायेगा – बाल केन्द्रित शिक्षा
बालकों को विद्यालय में किसी जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना बालकों को उनकी रूचि एवं योग्यता के अनुसार शिक्षा प्रदान की जाती हैं। उनकी इस शिक्षा को माना जायेगा – आदर्शवादी शिक्षा
बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा है – एक-दूसरे की पूरक
बाल केन्द्रित शिक्षा एवं प्रगतिशील शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है – मनोविज्ञान, विज्ञान, व तकनीकी का
एक बालक की लम्बाई 3 फुट थी, दो वर्ष बाद उसकी लम्बाई 4 फुट हो गयी। बालक की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन को माना जायेगा – वृद्धि एवं विकास
स्किनर के अनुसार वृद्धि एवं विकास का उदेश्य है – प्रभावशाली व्यक्तित्व
परिवर्तन की अवधारणा सम्बन्धित है – वृद्धि एवं विकास से
वृद्धि एवं विकास का ज्ञान एक शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक हैं – सर्वांगीण विकास के लिए
क्रोगमैन के अनुसार वृद्धि का आशय है – जैविकीय संयमों के अनुसार वृद्धि
सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि सूचक है – धनात्मकता का
सोरेन्सन के अनुसार वृद्धि मानी जाती है – परिवर्तन का आधार
गैसेल के अनुसार संकुचित दृष्टिकोण है – वृद्धि का
गैसेल के अनुसार व्यापक दृष्टिकोण है – विकास का
निम्नलिखित में कौन-सा तथ्य गैसेल के विकास के अवलोकन रूपों से सम्बन्धित है – शरीर रचनात्मक,शरीर क्रिया विज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक
”विकास के अनुरूप व्यक्ति में नवीन योग्यताएं एवं विशेषताएं प्रकट होती है” यह कथन है –श्रीमती हरलॉक का
सोरेन्स के अनुसार विकास है – परिपक्वता एवं कार्य सुधार की प्रक्रिया
अभिवृद्धि वृद्धि की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – शारीरिक
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – मात्रात्मक
अभिवृद्धि में होने वाले परिवर्तन होते है – रचनात्मक
अभिवृद्धि का क्रममानव को ले जाता है – वृद्धावस्था की ओर
अभिवृद्धि कहलाती है – कोशिकीय वृद्धि
अभिवृद्धि एक धारणा है – संकीर्ण
अभिवृद्धि का सम्बन्ध है – शारीरिक परिवर्तन से
अभिवृद्धि एक है – साधारण प्रक्रिया
अभिवृद्धि की प्रक्रिया सम्भव है – मापन
विकास की प्रक्रिया चलती है – गर्भावस्था से बाल्यावस्था तक
विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – शारीरिक, मानसिक, सामाजिक
वृद्धिएवं विकास के सन्दर्भ में सत्य है – अभिवृद्धि बाद में होती है व विकास पहले होता है।
विकास की प्रक्रिया में होने वाले परिवर्तन माने जाते है – गुणात्मक
विकास की प्रक्रिया के परिणाम हो सकते हैं – रचनात्मक एवं विध्वंसात्मक
विकास का प्रमुख सम्बन्ध है – परिपक्वता से
विकास के क्षेत्र को माना जाता है – व्यापक प्रक्रिया से
विकास की प्रक्रिया को कठिनाई के आधार पर स्वीकार किया जाता है – जटिल प्रक्रिया के रूप में
विकास की प्रक्रिया में समावेश होता है – वृद्धि एवं परिपक्वता का
विकास की प्रक्रिया का सम्भव है – भविष्यवाणी करना
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार संवेग है – मापात्मक अनुभव
‘संवेग पुनर्जागरण की प्रक्रिया है।” यह कथन है – क्रो एण्ड क्रो का
‘संवेग शरीर की जटिल दशा है।’ यह कथन है – जेम्स ड्रेकर का
संवेगों में मानव को अनुभूतियां होती है – सुखद व दु:खद
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